रब के सामने चले न किसी की, सब उसकी मर्जी होती है। रब के सामने चले न किसी की, सब उसकी मर्जी होती है।
इत्तेफ़ाक़ कहो या रब की साज़िश, इंसानियत को भी तो थोड़ा रोना था। इत्तेफ़ाक़ कहो या रब की साज़िश, इंसानियत को भी तो थोड़ा रोना था।
इसलिए अब जो न जाये ये दर्द संभाले, कर चले हम सब रब के हवाले। इसलिए अब जो न जाये ये दर्द संभाले, कर चले हम सब रब के हवाले।
एक को एक से दूर कदापि न भगाओ। एक को एक से दूर कदापि न भगाओ।
अगला पन्ना किताब का उसकी। जहाँ चाहें घुमा दें, ये है मर्ज़ी उसकी। अगला पन्ना किताब का उसकी। जहाँ चाहें घुमा दें, ये है मर्ज़ी उसकी।
'तेरी जीत मेरी हार ... 'तेरी खुदगर्जी या खुदा कि मर्जी मेरी खामीया पता नहीं .... यह कैसा प्यार ते... 'तेरी जीत मेरी हार ... 'तेरी खुदगर्जी या खुदा कि मर्जी मेरी खामीया पता नहीं .....